हम सभी स्वस्थ, सुखी और समृद्ध रहना चाहते हैं किन्तु स्वस्थ रहे बिना सुख और समृद्ध की कल्पना निरर्थक है| पिछले कुछ सौ वर्षों में मनुष्य के क्रमिक विकाश में बहुत से नए अध्याय जुड़े हैं | आद्योगिक क्रांति के क्रमिक विकाश ने मनुष्य की सुविधाओं का स्तर सुधारने में बहुत बड़ा योगदान दिया है | सुविधाओं में विकास की वजह से मनुष्य के जीवन शैली में बहुत परिवर्तन हुआ है पर सुविधाओं में इस विकास की मनुष्य ने बहुत बड़ी कीमत भी चुकाई है और यह कीमत मनुष्य ने स्वयं के स्वास्थ्य का अवनमन कर के दी है | मनुष्य में होने वाली किसी भी बीमारी की मूल रूप से केवल २ वजह होती हैं पहली वजह है अनियमित जीवन शैली और दूसरी वजह है बाहरी कारक जैसे किसी रोगाणु का शरीर में प्रवेश | अगर सांख्यिकी आंकड़ों पर नगर डालें तो 70 प्रतिशत से अधिक बीमारियों की वजह अनियमित जीवन शैली ही है | अब यदि किसी बीमारी की वजह ही अनियमित जीवनशैली हो तो उसका इलाज भी जीवन शैली को नियमित कर के ही संभव हो सकता है दवाएँ केवल बीमारी के लक्षण को बाहर आने में रोक पाती हैं वो भी केवल कुछ समय के लिए लेकिन इसका यह मतलब नहीं है की उस बीमारी का सफल इलाज हुआ हैं | जब की प्रकृति ने स्वतः ही हर बीमारी को ठीक करने का नियम हमारे भीतर खुद बख़ुद दे रखा है जो की पूरी धरती पे प्रचुर मात्रा में सर्वव्यापित है और हम अपनी चेतना के आधार प्रकृति की हर एक इकाई में सहजता से देख सकते हैं | प्रकृति ने हमें सूर्य का प्रकाश, जल और वायु प्रचुर मात्रा में दे रखा है और प्रकृति में पौधों का भोजन तो यही है और सभी शाकाहारी जीवों का भोजन पौधे ही हैं | आप सोच रहे होंगे कि आखिर सूर्य के प्रकाश से हमारे स्वास्थ्य का क्या लेना-देना? आइए, इस लेख के माध्यम से हम जानते हैं कि हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिये प्रकाश का क्या योगदान है ।
वास्तवकिता तो यह है की सूर्य का प्रकाश जितना पौधों के लिए आवश्यक है उतना ही हमारे लिए भी आवश्यक है| जल और वायु दूषित हो सकते हैं लेकिन सूर्य का प्रकाश हमें अभी भी पूरी तरह से शुद्ध रूप में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं| सूर्य का प्रकाश पूरी धरती पर प्रचुर मात्रा में सभी के लिए उपलब्ध है किन्तु इसके उपयोग को प्रचारित कर के किसी के व्यसाय को कोई फायदा नहीं है इसलिए किसी भी व्यवहारिक शिक्षा पद्धति में इसका उल्लेख नहीं नहीं किया गया जब की हमारे वेदोँ और पुराणों में सूर्य नमस्कार, सूर्य प्रणाम और ऐसे ही अनेक विधाओं का उल्लेख़ है धरती पे ऊर्जा का परम स्रोत सूर्य ही है और धरती पर हर एक जीवित इकाई को ऊर्जा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सूर्य से ही मिलती है ।
सूर्य के प्रकाश से हमे विटामिन D मिलता है ये हमे विज्ञान में बचपन में ही पढ़ाया जाता है पर यह नही सिखाया जाता की सूर्य का प्रकाश किस तरह से और कब कब लेना है । हमे सूर्य का प्रकाश चाहये न की उसकी गर्मी । सूर्य के प्रकाश की मात्रा हमारे शरीर में हर तरह की व्याधियों को ठीक करने में पूरी तरह से सक्षम है ।
सूर्य के प्रकाश के नियमित सेवन से हमारा प्रतिरक्षा तंत्र बहुत मजबूत हो जाता है जो की रोगाणुओं से लड़कर हमारे शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है । इसके अलावा हृदय रोग, डायबिटीज, थायरॉइड, उच्च रक्त चाप, स्किन डिजीज, अपच, ब्रेन डिसऑर्डर, मेटाबोलिक फंक्शन, ब्लड सर्कुलेशन रिलेटेड डिसऑर्डर एवं अन्य लगभग हर तरह की बीमारियों को पूरी तरह से ठीक करने में सक्षम है । हमे केवल यह सीखना चाहिए की सूर्य के प्रकाश को किस तरह से उपयोग में लेना चाहिए ।
Vivek Sengar